Poetry आखिर औरत हो तुम Posted on June 28, 2024June 28, 2024 by tanya garain और फिर एक किताब सी ही तो हो तुम,ज़रा सी हवा में बेचैन हो उठती हो,दुनिया भर की बातें हैं तुम्हारे मन में,पर बिना पूछे…
Poetry खोज लें? Posted on June 20, 2024June 20, 2024 by tanya garain खोज चल अब आज खुद को,चल थोड़ा जोर लगा,अगर नाखुश है दुनिया के नाम से,तो चल खुद ही अपना नाम बता। कौन है? क्यूँ है?ये…
Poetry Reflections Posted on May 27, 2024May 27, 2024 by tanya garain To know that we move on,That we leave behind things,Once and for all,That’s a beautiful thought,But just a thought. If that night was heavy on…
Poetry खुल के हसते हो क्या? Posted on May 5, 2024May 5, 2024 by tanya garain खुल के हसते हो क्या?मन से खिलते हो क्या?पूछा फूलों से जिन्हें खिले अब समय हुआ,कलियां थी कभी पर काम खत्म हुआ,फूल से बेल होने…
Poetry शोर! Posted on April 27, 2024April 27, 2024 by tanya garain आज फिर लड़ने का दिन था,एक आख़िरी बार,बस पार निकल जाऊँगी मैं,इस शोर के उस पार।कैसा शोर?कैसी आवाजें?चारों तरफ है क्या,कुछ दीवार, कुछ दरवाजे।शोर तो…