Poetry शोर! Posted on April 27, 2024April 27, 2024 by tanya garain आज फिर लड़ने का दिन था,एक आख़िरी बार,बस पार निकल जाऊँगी मैं,इस शोर के उस पार।कैसा शोर?कैसी आवाजें?चारों तरफ है क्या,कुछ दीवार, कुछ दरवाजे।शोर तो…