Poetry रास्ते और गीत Posted on October 5, 2024October 5, 2024 by tanya garain बालिग़ हुए तो घर से हम निकले,क्या करने उसका कुछ ज़्यादा हिसाब ना था।बन जाएँगे शायद कुछ कहीं पहुँच कर,किसी मंज़िल पर जा कर कुछ…