माँ, अगले जन्म भी तुम्हें ही माँगूँगी,
पर तुम बन के आओ मेरी बिटिया, ये चाहूँगी।
तुम हैरान ना हो, तुम माँ तो सबसे अच्छी हो,
लेकिन तुम भी तो एक बच्ची हो, तुम्हें ये जताना चाहूँगी।
तुम जो ये पूरे दिन की भाग दौड़ करती हो,
तुम्हें वहीं गोद में उठा लुंगी,
नन्हे पैरों पे तेल लगा कर,
छोटी सी प्यारी पैजानिया पहना कर,
फिर मैं भी तुम्हारे संग दौड़ूँगी,
तुम्हें जरा भी थकने ना दूँगी।
केश जो ये तुम्हारे घने काले हैं,
शाम की बदरिया से भी सुंदर हैं,
फूलों के गजरे से इन्हें सजायूँगी,
गुथ कर दो छोटी उनपे मोगरे लगाऊँगी।
तब तक तुम पूरे दिन की कहानी कहना,
सर अपना मेरी गोदी में रखना,
उलझी लटें तुम्हारी मैं सुलझाऊँगी,
बालों में आहिस्ता हाथ फेर तुम्हें सुलाऊँगी।
और चंदा जैसी सूरत ये जो है,
उस पे जो ये दो टिम टिम करती आँखें,
लगा सूरमा कान के पीछे,
तुम्हें सारी बुरी नजर से बचायूँगी,
आँचल से अपने ढक लुंगी,
और उसी आँचल में गीत सुनाऊँगी।
और दुनिया भर के खिल बताशे,
या कोई मिठाई, चाहे कोई भी खिलौने,
तुम जो चाहो सब ला दूँगी,
तुम्हें जिस चीज़ से प्रेम हो,
मैं उससे घर के बगीचे सजा दूँगी,
जिस डगर पे चलना चाहो तुम,
मैं उस पर फूल बिछा दूँगी,
तुम्हारी चुलबुली में ही दिन काटूँ,
तुम्हें अपने ही लाड़ से बिगाड़ूँगी।
अगर कोई है सुनने वाला तो यही कहूँगी,
ये जीवन क्या, हर जीवन में तुमको चाहूँगी,
माँ, अगले जन्म भी तुम्हें ही माँगूँगी।