आज भी

उस घर के बरामदे में मोगरे आज भी खिले थे,गमलो में ताज़ा पानी भी दिया था।दरवाज़े पर पहुँचे तो वही “शुभ लाभ” लटके थे,और कुमकुम…

रास्ते और गीत

बालिग़ हुए तो घर से हम निकले,क्या करने उसका कुछ ज़्यादा हिसाब ना था।बन जाएँगे शायद कुछ कहीं पहुँच कर,किसी मंज़िल पर जा कर कुछ…

खोज लें?

खोज चल अब आज खुद को,चल थोड़ा जोर लगा,अगर नाखुश है दुनिया के नाम से,तो चल खुद ही अपना नाम बता। कौन है? क्यूँ है?ये…