Poetry आज भी Posted on December 23, 2024December 23, 2024 by tanya garain उस घर के बरामदे में मोगरे आज भी खिले थे,गमलो में ताज़ा पानी भी दिया था।दरवाज़े पर पहुँचे तो वही “शुभ लाभ” लटके थे,और कुमकुम…
Poetry रास्ते और गीत Posted on October 5, 2024October 5, 2024 by tanya garain बालिग़ हुए तो घर से हम निकले,क्या करने उसका कुछ ज़्यादा हिसाब ना था।बन जाएँगे शायद कुछ कहीं पहुँच कर,किसी मंज़िल पर जा कर कुछ…
Poetry आखिर औरत हो तुम Posted on June 28, 2024June 28, 2024 by tanya garain और फिर एक किताब सी ही तो हो तुम,ज़रा सी हवा में बेचैन हो उठती हो,दुनिया भर की बातें हैं तुम्हारे मन में,पर बिना पूछे…
Poetry खोज लें? Posted on June 20, 2024June 20, 2024 by tanya garain खोज चल अब आज खुद को,चल थोड़ा जोर लगा,अगर नाखुश है दुनिया के नाम से,तो चल खुद ही अपना नाम बता। कौन है? क्यूँ है?ये…
Poetry Reflections Posted on May 27, 2024May 27, 2024 by tanya garain To know that we move on,That we leave behind things,Once and for all,That’s a beautiful thought,But just a thought. If that night was heavy on…