Poetry आज भी Posted on December 23, 2024December 23, 2024 by tanya garain उस घर के बरामदे में मोगरे आज भी खिले थे,गमलो में ताज़ा पानी भी दिया था।दरवाज़े पर पहुँचे तो वही “शुभ लाभ” लटके थे,और कुमकुम…
Poetry आखिर औरत हो तुम Posted on June 28, 2024June 28, 2024 by tanya garain और फिर एक किताब सी ही तो हो तुम,ज़रा सी हवा में बेचैन हो उठती हो,दुनिया भर की बातें हैं तुम्हारे मन में,पर बिना पूछे…
Poetry खोज लें? Posted on June 20, 2024June 20, 2024 by tanya garain खोज चल अब आज खुद को,चल थोड़ा जोर लगा,अगर नाखुश है दुनिया के नाम से,तो चल खुद ही अपना नाम बता। कौन है? क्यूँ है?ये…
Poetry क्यूँ लिखती हो तुम Posted on October 2, 2023October 2, 2023 by tanya garain क्यूँ लिखती हो तुम,इसमें रखा क्या है।यह दुनिया है कैसी, लिख कर करना क्या है,दो पल इस जहां से दूर,रोजमर्रा से हट कर,खुद को बहलाने…
Poetry Pages 📖 Posted on July 20, 2023July 20, 2023 by tanya garain Torn between two pages,I think, which one to read..The previous one feels familiar,I know where are the smooths,Where are the textures,The lines on that page,Of…